GST Annual Returns – भारत मे 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू किया गया था, जिसके बाद अभी तक 1.32 करोड़ से भी ज्यादा बिज़नेस जीएसटी में रजिस्टर्ड हो चुके है ।
GST में रजिस्ट्रेशन लेने के बाद रजिस्टर्ड पर्सन को GST रिटर्न्स फ़ाइल करनी होती है । GST रिटर्न्स मंथली, तिमाही और एनुअल बेसिस पर फ़ाइल की जाती है, जो कि टैक्सपेयर के टाइप्स पर डिपेंड करता है ।
इन जीएसटी रिटर्न्स को फ़ाइल करना टैक्सपेयर्स के लिए अनिवार्य होता है, चाहे उनकी कोई बिज़नेस एक्टिविटी या कोई सेल्स या प्रॉफिटेबिलिटी हो या नही हो ।
जीएसटी एनुअल रिटर्न्स में टैक्सपेयर को एक फाइनेंसियल ईयर में होने वाले सभी बिज़नेस ट्रांजेक्शनों की जानकारी देनी होती है । यानी कि आपने मंथली या तिमाही (quarterly) जीएसटी रिटर्न्स में जो भी इनफार्मेशन दी है, उसकी पूरी डिटेल्स को एनुअल रिटर्न्स में रिपोर्ट करना होता है ।
Types of Gst annual return | जीएसटी एनुअल रिटर्न्स कितने टाइप्स की होती है ?
- Form GSTR 9 – यह एनुअल रिटर्न जीएसटी में रजिस्टर्ड सभी पर्सन को फ़ाइल करनी होती है । सभी पर्सन से मतलब ऐसे पर्सन से है जिन्हें GSTR -3B, GSTR-1 फ़ाइल करनी होती है ।
- Form GSTR 9A – यह एनुअल रिटर्न कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर द्वारा फ़ाइल की जाती है । लेकिन, फाइनेंसियल ईयर 2019-20 से कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स के लिए GSTR -4 आने की वजह से एनुअल रिटर्न फ़ाइल करना ऑप्शनल हो गया है । यानी कि अब टैक्सपेयर्स के लिए GSTR 9A फ़ाइल करना ऑप्शनल है ।
- Form GSTR 9B – सभी ई कॉमर्स ऑपरेटर जिनको टीसीएस कलेक्ट करना अनिवार्य होता है, के द्वारा GSTR 9B में एनुअल रिटर्न फ़ाइल की जाती है । ई कॉमर्स ऑपरेटर को GSTR 8 में मंथली रिटर्न फ़ाइल करनी होती है ।
- Form GSTR 9C – यह एनुअल रिटर्न उन सभी टैक्सपेयर्स को फ़ाइल करनी होती है, जिनका एक फाइनेंसियल ईयर में 5 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर होता है । GSTR 9C को Reconciliation Statement भी कहा जाता है । पहले इसे फ़ाइल करने के टर्नओवर की लिमिट 2 करोड़ से ज्यादा की होती थी । अब इस लिमिट को 5 करोड़ कर दिया गया है । साथ ही अब gstr 9c को टैक्सपेयर द्वारा सेल्फ सर्टिफाइड भी किया जा सकता है । पहले इसमे सीए के सर्टिफिकेट की अनिवार्यता रहती थी, लेकिन अब इस रूल को हटा लिया गया है ।